Tuesday, November 20, 2012

राजनीतिक इस्लाम फासीवाद से भी अधिक क्रूर है, उसने जहां जहां अपना सर उठाया मानवता को लज्जित किया और आधुनिक सभ्यता को शर्मसार भी किया। हमास ने गाज़ा पट्टी पर जब से हकुमत संभाली है सबसे पहले उसने फताह जैसे प्रगतिशील ग्रुप के सदस्यों को भेड़ बकरियों की तरह मारा। इस्लामी शिक्षा के आधार पर इजराइल के खिलाफ नफ़रत का कारोबार उसे युद्ध के मुहाने पर हर दम रखता ही है। युद्दोंमाद कि आड़ में राजनीतिक रोटियाँ सेके बिना इनकी कोई नमाज़ भी पूरी नहीं होती। पडौसी मिस्र में मुस्लिम ब्रदरहुड की हकुमत बनने के बाद से ही दीवारों पर वह इबारत साफ़ दिखने लगी थे जिसका आज सातवा दिन है। युद्ध में 125 फलस्तीनी और 3 इज्राईली अपनी जानें गवां चुके हैं। हमास की खून की प्यास अभी पूरी नहीं हुई, खबर है कि 6 फलस्तीनियों को इस्राईल का मुखबिर बता कर हमास के फासीवादी जिहादियों ने सड़क पर सरेआम लिटा कर उनकी ह्त्या कर दी उनमे से एक लाश को मोटरसाईकिल के पीछे बाँध कर शहर में घुमाया गया, इसी बर्बर संस्कृति का नाम राजनीतिक इस्लाम है, यही धार्मिक फासीवाद है, हमास की गाजा सरकार के पक्ष में मुट्ठी भींचने से पहले ज़रा फतह के हज़ारो साथियों की बलि के बारे में जरुर सोचना।हमास/हिजबुल्लाह /ब्रदरहुड/जमात जैसे नाम का कैंसर आपके मौहल्ले, गाँव, कस्बे, शहर और देश में भी फ़ैल जाएगा और एक दिन ये नज़ारा आपके शहर का भी होगा। युद्ध का विरोध हो लेकिन युद्दोंमादों का भी नाश हो, धर्म को राजनीति में विलय करने वालों का भी नाश हो। धर्म आधारित राजनीति मौजूदा विश्व में कहीं शांति स्थापित नहीं कर सकती, ऐसी ताकतों का बहिष्कार करना हर शांतिवादी कर्मी का पहला कर्तव्य है ।

राजनीतिक इस्लाम फासीवाद से भी अधिक क्रूर है, उसने जहां जहां अपना सर उठाया मानवता को लज्जित किया और आधुनिक सभ्यता को शर्मसार भी किया। हमास ने गाज़ा पट्टी पर जब से हकुमत संभाली है सबसे पहले उसने फताह जैसे प्रगतिशील ग्रुप के सदस्यों को भेड़ बकरियों की तरह मारा। इस्लामी शिक्षा के आधार पर इजराइल के खिलाफ नफ़रत का कारोबार उसे युद्ध के मुहाने पर हर दम रखता ही है। युद्दोंमाद कि आड़ में राजनीतिक रोटियाँ सेके बिना इनकी कोई नमाज़ भी पूरी नहीं होती। पडौसी मिस्र में मुस्लिम ब्रदरहुड की हकुमत बनने के बाद से ही दीवारों पर वह इबारत साफ़ दिखने लगी थे जिसका आज सातवा दिन है। युद्ध में 125 फलस्तीनी और 3 इज्राईली अपनी जानें गवां चुके हैं। हमास की खून की प्यास अभी पूरी नहीं हुई, खबर है कि 6 फलस्तीनियों को इस्राईल का मुखबिर बता कर हमास के फासीवादी जिहादियों ने सड़क पर सरेआम लिटा कर उनकी ह्त्या कर दी उनमे से एक लाश को मोटरसाईकिल के पीछे बाँध कर शहर में घुमाया गया, इसी बर्बर संस्कृति का नाम राजनीतिक इस्लाम है, यही धार्मिक फासीवाद है, हमास की गाजा सरकार के पक्ष में मुट्ठी भींचने से पहले ज़रा फतह के हज़ारो साथियों की बलि के बारे में जरुर सोचना।हमास/हिजबुल्लाह /ब्रदरहुड/जमात जैसे नाम का कैंसर आपके मौहल्ले, गाँव, कस्बे, शहर और देश में भी फ़ैल जाएगा और एक दिन ये नज़ारा आपके शहर का भी होगा। युद्ध का विरोध हो लेकिन युद्दोंमादों का भी नाश हो, धर्म को राजनीति में विलय करने वालों का भी नाश हो। धर्म आधारित राजनीति मौजूदा विश्व में कहीं शांति स्थापित नहीं कर सकती, ऐसी ताकतों का बहिष्कार करना हर शांतिवादी कर्मी का पहला कर्तव्य है ।
http://www.dailymail.co.uk/news/article-2235635/Gaza-conflict-Egyptian-president-says-peace-Gaza-imminent-predicts-lasting-ceasefire-begin-tomorrow.html?ICO=most_read_module
दूसरा लिंक भी देखें
http://www.youtube.com/watch?v=tm-Gh7Oxy0Y