Sunday, June 29, 2014

रमज़ान २०१४ का चमत्कार: पहले रोज़े पर ही खलीफ़ा मिल गया ७५६ साल के बाद


 
चमत्कार हो गया, अभी तो पहला रोज़ा भी मुकम्मिल नहीं हुआ था कि अल्लाह ताला ने १.७ अरब मुसलमानों की दुआ कबूल कर ली. ७५६ साल से मुस्लिम उम्मा का खलीफ़ा गायब था, आई एस आई एस ने इराक में अपने कब्ज़े वाले इलाके से घोषणा कर दी कि मुसलमानों का खलीफ़ा अब उनके गिरोह का मुखिया अबू बक्र अल बगदादी है. बोलो ‘हल्ला हो हकबर’ ...
(खलीफ़ा की कुर्सी में असंवैधानिक तरीके से छिपे सऊदी बूढ़े राजा का रमज़ान की पूर्व संध्या पर किये गए खिलाब को कृपा अनदेखा करे जिसमें उसने इन्हें जाने क्या-क्या लानते मलानातें दी थी)  
खैर, यह बताना जरुरी है कि मुसलमानों का आखिरी खलीफ़ा इसी देश इराक में हुआ करता था जिसकी राजधानी बग़दाद थी नाम था मस्तासीम. दस फरवरी १२५८ को हलाकू खान को क्योंकि राजकुल का सम्मान था; उनका खून नहीं बहाता था, लिहाजा मुस्तासीम को  बोरे में भर कर बग़दाद की सडकों पर घोड़ों की टापुओं से कुचल कुचल कर मारा था.
अमेरिका ने अपनी जेल से रिहा कर; अबू बक्र अल बगदादी के रूप में मुसलमानों को उनका खोया खालीपा दे दिया है, अल्लाह का करम है, रमज़ान है ..चलो उम्मत के रखवालो कमर कस लो, आगे बड़ी कठिन घड़ी है, अल्लाह मुश्किल आसान करे....
(फोटो: खालिफाए दौर अबू बक्र अल बगदादी, साभार गूगल)