Monday, December 24, 2012

ज़िंदा इंसान को जला कर नज़ारा देखते धर्मांध लोग


विश्व शांति सैनिको ने विश्व शांति की पवित्र पुस्तक की अवमानना के जुर्म में पहले कथित अपराधी को पीटा फिर व्यापक शांति की स्थापित करने हेतु उसे जिंदा जला कर मार डाला। दादू सिंध (पाकिस्तान) के सीता गांव में कोई राहगीर गरुवार की रात को रुका था, अगले दिन मस्जिद में पवित्र कुरआन के पन्ने जले हुए पाए गए। इमाम मेमन के संदेह पर पहले इस मुसाफिर को गांव वालों ने पीटा फिर पुलिस को सौंप दिया। 21 दिसंबर के दिन हुई इस घटना में फिर कोई 200 शांति सैनिकों का हुजूम थाने पर जा पहुँचा, मुसाफिर को फिर पीटा और इस बार उसे ज़िंदा जला कर ही दम लिया। 1990 से ईश निंदा के नाम पर अब तक 53 लोगों को पाकिस्तान में सरे आम मारा जा चुका है। शांति के नाम पर जाने कितने बेगुनाह अभी तक इन तथाकथित शांति सैनिकों द्वारा जीवन मुक्त कर दिए गए हैं यह शोध का विषय है।
धर्म के नाम पर इस क्रूक हिंसा की मैं मुखालफत भी करता हूँ और मज़म्मत भी। कामना करता हूँ कि भौंडी शांति के इस खून खराबे वाले रास्ते का अंत अति शीघ्र हो।
फोटो : पैन अर्मेनियन डाट नेट

Sunday, December 2, 2012

कथावाचक जाकिर नायक के अतार्किक प्रवचन

कथावाचक जाकिर नायक की सुनो इस वीडियो में फरमा रहे हैं, अपने धर्म ग्रन्थ का हवाला देकर कि अल्लाह दुआ माँगने वाले को बी एम डब्लू मोटर साईकिल इसलिए नहीं दे रहा कि वह जानता है कि वो एक अच्छा शख्स है और दुर्घटना में मर सकता है, वो उसे बचाना चाहता है इसलिए उसके मरने का साधन नहीं दे रहा। लिहाजा उसकी दुआ अनसुना करके भी वह उसकी दुआ सुन रहा है , वाह ... दुआ माँगना उसका असर होना न होना ये अलग मसला रहा उस पर फिर कभी ..फिलहाल इस लफ्फाजी को कुछ आंकड़ों के आईने में अकल लगा कर देखते हैं .
प्रतिदिन दुनिया में 3500 लोग सड़क दुर्घटना में अपनी जान गंवाते हैं, भारत में अल्लाह की कृपा सबसे अधिक है कि सड़क दुर्घटना में मरने वालों का सबसे बड़ा रिकार्ड इसी मुल्क के नाम है, मानो अल्लाह को जिसे निपटाना हो उसे एक गाडी दिलवा देता हो, कच्चे पक्के मिलाकर हर साल कोई 2 लाख मौतें भारत में हो रही है। मरने वाला अपनी जान से गया लेकिन अल्लाह उद्योगपतियों की तिजोरियाँ भरने में लगा है। कथावाचक जाकिर नायक और उसकी किताब की माने तो जो कुछ भगवान करता है वह या तो बन्दे परीक्षा हो रही है या उसे इनाम दिया गया है, अब इन सड़क दुर्घटनाओं में मरने वाले परीक्षा में फेल हुए या अपने इनाम को झेल नहीं पाये? इस जगह इनके तर्क पहुँच ही नहीं पाते। ऐसी वाहियात बातों और अतार्किक प्रवचनों को कितनी गौर से लोग बिना अपनी अकल लगाए गाय भैसों की तरह कैसे सुन लेते हैं? यह बड़े ताज्जुब की बात है। सूट बूट पहने, बकरेनुमा दाढी,मध्यकालीन विचारधारा का प्रचार करना , वह भी सभी वैज्ञानिक तकनीको का प्रयोग करके- कोई इन अंतर्विरोधों पर इस सर्वश्रेष्ठवादी ढकोंसले बाज़ से प्रश्न क्यों नहीं करता ? धर्म विवेक और तर्कशीलता का ह्रास किस कदर करा देता है और ऐसी फितरत का इंसान समाज में चेतना के स्तर को कितने रसातल में पहुंचा सकता है ? वह इस महाशय और उसके चाहने वालों को देख कर पता चल जाता है। 
  
http://www.youtube.com/watch?v=8a0V1DXAT-E&feature=g-wl&list=WLOY2z2wTrYxGCujEorGxo8j3xi8yNB_3C